tag:blogger.com,1999:blog-2207759579280092873.post2466962777582097740..comments2023-06-04T08:43:04.358-07:00Comments on उत्तर प्रदेश डिप्टी कलक्टर (पी.सी.एस.) मंच : क्या भारत की सेनाओं में कार्यरत व्यक्ति तथा कारावास मे निरोधित अथवा पागल यानी जड. एक जैसा ही स्टेटस रखते हैं?अशोक कुमार शुक्लाhttp://www.blogger.com/profile/00322447925425282794noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-2207759579280092873.post-2939234200415733222012-01-30T19:51:31.244-08:002012-01-30T19:51:31.244-08:00आदरणीय अनुराग शर्मा जी
आपका आाभार कि आपने इतनी गं...आदरणीय अनुराग शर्मा जी <br />आपका आाभार कि आपने इतनी गंभीरता से पढा शीध्र ही आपके सुझाये विषय पर लिखने का प्रयास करूगा उत्साहवर्धन के लिये आभारअशोक कुमार शुक्लाhttps://www.blogger.com/profile/00322447925425282794noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2207759579280092873.post-12817630703923353972012-01-28T17:04:52.008-08:002012-01-28T17:04:52.008-08:00बहुत अच्छा प्रश्न उठाया है। ऐसे बहुत से सरकारी निय...बहुत अच्छा प्रश्न उठाया है। ऐसे बहुत से सरकारी नियम हैं जो न केवल अदूरदर्शी हैं बल्कि कई मामलों में अन्यायी भी हैं। अखिल भारतीय सेवा संवर्ग ही नहीं, अन्य कर्मचारी, व्यापारी, अनिवासी भारतीय नागरिकों जैसे कितने ही वर्ग हैं जिनके हितों का ध्यान नहीं रखा गया है। सैनिक तो सिविल प्रशासन का भाग नहीं हैं और ऐसे किसी भी नियम-निर्देश के निर्माता तंत्र का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि गाँव में उनकी ज़मीनें अक्सर असुरक्षित होती हैं। कौन बनाता है ऐसे सरकारी नियम? इसमें नेताओं और आइएऐस अधिकारियों की क्या भूमिका रहती है? क्या हमारे देश में इन्हें बदलने/सुधार की कोई सरल प्रक्रिया है? इन सभी सवालों के उत्तर पर भी एक आलेख लिखिये, इंतज़ार रहेगा।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2207759579280092873.post-19180724278354571462012-01-12T19:07:39.439-08:002012-01-12T19:07:39.439-08:00अजय कुमार सिंह जी ने कहा
श्री शुक्ल जी
इस रोचक ...अजय कुमार सिंह जी ने कहा <br /><br />श्री शुक्ल जी <br />इस रोचक सुझाव के लिए धन्यवाद<br />क्यों न भारत सरकार / राज्य सरकार के सेवारत कर्मचारियों के साथ -साथ संगठित / असंगठित श्रेत्र के अन्य सभी कर्मचारियों श्रमिको व्यापारियों को तथा देश व दिदेश में आजीविका के लिए कार्यरत भारतीय नागरिकों को भी यह सुविधा प्रदान कर दी जाय। <br />परन्तु यदि ऐसा किया जाता हे तो जेड ऐ उल आर एक्ट की इस धारा का मूल उइ्देश्य समाप्त हो जायेगा । <br />टिप्पण्री का अवसर प्रदान करने के लिए धन्यवादAnonymousnoreply@blogger.com