सोमवार, 25 जुलाई 2011

पंजीकृत दत्तक ग्रहण और वसीयत में से क्या मान्य होगा?


1972 में मेरे भाई का पंजीकृत गोदनामा हुआ था, लेकिन वह हमेशा अपने प्राकृतिक पिता के साथ ह रहा। उस के सारे दस्तावेजों (शिक्षा, मतदाता पहचान पत्र आदि) में उस के प्राकृतिक पिता का ही नाम पिता के रूप में दर्ज है न कि दत्तक ग्रहण करने वाले पिता का। 2001 में दत्तक पिता ने मेरे चाचा के पुत्रों के नाम पंजीकृत वसीयत कर दी, जिस में दत्तक का उल्लेख नहीं है। दत्तक ग्रहण करने वाले पिता के देहान्त के उपरांत उस का दाह संस्कार भी चाचा के पुत्रों ने ही किया, दत्तक पुत्र ने नहीं। अब नामांतरण का वाद चल रहा है। दत्तक ग्रहण में माता की स्वीकृति नहीं है। यह बताने का कष्ट करें कि दत्तक पुत्र या वसीयती में किस का दावा मजबूत है?तीसरा खंबा: पंजीकृत दत्तक ग्रहण और वसीयत में से क्या मान्य होगा?

बुधवार, 6 जुलाई 2011

राजस्व रिकार्ड में दर्ज भूमि में क्या बहन विभाजन मांग सकती है?


तीसरा खंबा: राजस्व रिकार्ड में मेरे नाम दर्ज भूमि में क्या मेरी बहन विभाजन मांग सकती है?

कोई वसीयत न करने पर हिन्दू स्त्री की संपत्ति उत्तराधिकार में किसे प्राप्त होगी?

तीसरा खंबा: कोई वसीयत न करने पर हिन्दू स्त्री की संपत्ति उत्तराधिकार में किसे प्राप्त होगी?

: पत्नी के पूर्व पति से उत्पन्न संतान का संपत्ति का अधिकार और उत्तराधिकार

तीसरा खंबा: पत्नी के पूर्व पति से उत्पन्न संतान का संपत्ति का अधिकार और उत्तराधिकार

क्या है वसीयत? वसीयत कैसे करें?


तीसरा खंबा: क्या है वसीयत? वसीयत कैसे करें?

रविवार, 3 जुलाई 2011

क्या मैं सरकारी नौकरी में रहते हुए काव्य गोष्ठियों में भाग ले सकता हूँ?


राजकीय कर्मचारी कवि गोष्ठियों में भाग ले सकता है अथवा नहीं इससे संबंधित एक रोचक लेखमाला तीसरा खंभा ब्लाग पर प्रकशित हुयी थ्ी जिसे आप सभी पाठकजनों के लिये यहां साझा कर रहा हूं
इस विषय पर तीसरा खंबा में चार आलेख हाल ही में प्रकाशित किए गए थे। इन में यह चर्चा की गई थी कि सरकारी कर्मचारी क्या कर सकते हैं और क्या नहीं कर सकते। ये चारों आलेख ...
(1) सरकारी/ अर्धसरकारी कर्मचारी क्या क्या नहीं कर सकते?;
(2) कर्मचारियों के आचरण नियम क्यों नहीं आम किए जाते? ..... भाग-2;
(3) सरकारी कर्मचारी किन किन गतिविधियों में भाग नहीं ले सकता ... भाग-3 तथा
(4) सरकारी कर्मचारी प्रकाशन, प्रसारण में कब और किस सीमा तक भाग ले सकते हैं?... भाग-4 आप को पढ़ लेने चाहिए। इस से आप को समझने में मदद मिलेगी कि आप एक सरकारी कर्मचारी होने पर क्या कर सकते हैं और क्या नहीं।

आप के कविता लिखने पर और कवि गोष्ठियों में भाग लेने पर भी किसी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं है। आप ब्लाग, समाचार पत्र और पत्रिकाओं में भी लिख सकते हैं यदि आप का लेख, रचना या अन्य सामग्री साहित्यिक, कलात्मक, या वैज्ञानिक प्रकार की हो, और उस में ऐसा कोई मामला न हो जिसे किसी कानून, नियम या उपनियम के अंतर्गत सरकारी कर्मचारी द्वारा प्रकट करना निषेध कर दिया गया हो। इस के लिए आप को राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए बनाए गए आचरण नियम भी अवश्य पढ़ लें।
तीसरा खंबा: क्या मैं सरकारी नौकरी में रहते हुए काव्य गोष्ठियों में भाग ले सकता हूँ?

शुक्रवार, 1 जुलाई 2011

नायब तहसीलदार ने नामांतरण आदेश


केवलकृण question

एक मामले म एक पकार के प म नायब तहसीलदार ने नामांतरण आदेश जार कया, लेकनदूसरे प क आपय के बाद तहसीलदार ने यह कहते हुए रकाड यथावत रखने का आदेश दया क नायब तहसीलदार वभागीय परा उीण नहं थे। तहसीलदार ने पहले प के नामांतरण आवेदनक पुनः सुनवाई क और अंततः उसका आवेदन खारज हो गया। साथ ह उसे सलाह द क सतव क उोषणा के िलए वह िसवल कोट जा सकता है। पहले प ने एसडओ कोट म अपील क, लेकन वहां भीe उसक अपील खारज हो गई। साथ ह कोट ने िमयाद अिधिनयम के तहत दए गए उसके तक से भी असहमित य क। पहले प ने दूसर अपील अपर कलेटर के यायालय म क, वहां दूसर अपील वीकार करते हुए दोन िनन
यायालय के आदेश को खारज कर दया गया। इधर दूसरे प ने अपर कलेटर के फैसले के खलाफ राजव मंडल म अपील क जहां मुकदमा जार है। इस पूरे मामले म पहले प का सव संदध है और वह अपने प म कोई उोषणा या टे ा नहं कर पाया है। वह दूसरे प के सव को वीकार करता है, उसे चुनौती नहं देता। बक दूसरे प के साथ अपना भी नामांतरण चाहता है। इस बीच दूसरा प, जसका सव प है, एक भूिम म फौती के िलए तहसीलदार के यायालय म आवेदन करता है। पहले प ने यायालय म तक दया है क इसी भूिम से संबंिधत वाद राजव मंडल म लंबत है, अतः दूसरे प का फौती आवेदन खारज कया जाना चाहए। दूसरे प का तक है क उसका सतव प है, और कोई टे भी नहं है, इसिलए फौती आवेदन का िनराकरण कया जाना चाहए। यह है क या तहसीलदार इन परिस◌्थय म फौती आवेदनका िनराकरण कर सकता है। या इसके िलए कोई याियक ांत है। Rep

"हद विध चचा समूह फौती नामांतरण" by राकेश शेखावत Rakesh शेखावत Shekh राकेश शेखावत Rakesh शेखावत Shekhawat Viewrofile More
केवल कृण जी, नमकार। वतुतः नामातकरण एक वय देयता तय करने कराजव या है। जो राय सरकार लगान वसूली के िलए अपनाती है। लेकन यह भी सच है क इसे मा वय एवं शासिनक मामला माना जाना भी ठक नहं है यक वतुतः अिधकार अिभलेख को आदनांक(चकंजम) करने का मूलभूत आधार यह होता है। चूँक आपके मामले म वव का वमान है जसके सबंध म शीष राजव यायालय म मामला लबत है ऐसे म मामले का अतम प से िनतारण होने तक, चाहे मामले म कसी कार का कोई टे ना हो, तहसीलदार महोदय ारा नामातकरण खोला जाना कसी भी कार से सुसंगत एवं संभव नहं लगता। अछा हो आप तीय पकार को सम यायालय म घोषणा का वाद तुत करने

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