किन्तु उन सभी दशाओं में सरकार की पूर्व स्वीकृति लिये जाने की आवश्यकता है जिनमें लगातार के आधार पर स्वामित्व (रायल्टी) प्राप्त करने का प्रस्ताव हो। इस प्रकार की अनुमति देते समय रचना के पाठ्य पुस्तक के रूप में नियत किये जाने और ऐसी ही दशा में सरकारी पद के दुरूपयोग होने की सम्भावना पर भी विचार किया जाना चाहिये।
क्या करें यदि प्रकाशित के आधार पर स्वामित्व ( रायल्टी ) स्वीकार करने का प्रस्ताव हो
रायल्टी राज्य सरकार द्वारा यह निश्चित किया गया है कि विशुद्ध रूप से साहित्यिक , कलात्मक, और वैज्ञानिक किस्म की रचनाओं से भिन्न रचनाओं के प्रकाशन की दशा में पुस्तकें लिखने तथा प्रकाशित करने और उनके लिये स्वामित्व ( रायल्टी ) स्वीकार करने की अनुमति निम्नलिखित शर्तों पर दी जायेगी
1 पुस्तक पर सरकार की मुद्रणानुज्ञप्ति (¼ imprimature ½ ) अंकित न हो।
2 पुस्तक के प्रथम पृष्ठ पर लेखक का नाम दिया गया हो पर उसके साथ उसका सरकारी पदनाम न दिया गया हो किन्तु पुस्तक के बहिरावरण ( dust-cover ) पर जिसमें जनता को लेखक का परिचय दिया जाता है सरकारी पदनाम देने में कोई आपत्ति नहीं है।
3 लेखक पुस्तक के प्रथम पृष्ठ पर अथवा किसी अन्य उपयुक्त स्थल पर अपने नाम से यह उल्लेख कर दे कि पुस्तक में वर्णित लेखक के विचारों और टीकाटिप्पणियों की पूरी जिम्मेदारी लेखक की है और पुस्तक के प्रकाशन से सरकार का कोई संबंध नहीं है।
4 लेखक को यह बात भी सुनिश्चित करनी चाहिये कि पुस्तक में तथ्य अथवा मत सम्बन्धित कोई ऐसा कथन नहीं है जिसमें राज्य सररकार या केन्द्रीय सरकार अथवा किसी अन्य सरकार या स्थानीय प्राधिकारी की किसी वर्तमान अथवा हाल की नीति की कोई प्रतिकूल आलोचना की गयी है।
5 सरकारी कर्मचारियों को उनके द्वारा लिखी गयी पुस्तकों को बिक्री से होन वाली आय पर एक मुश्त धनराशि अथवा लगातार प्राप्त होने वाली धनराशि दोनो ही रूप में स्वामित्व रायल्टी स्वीकार कने की अनुमति दी जा सकती है किन्तु प्रतिबंध यह है कि यदि
(1)पुस्तक केवल नौकरी के दौरान प्राप्त ज्ञान की सहायता से लिखी गयी है अथवा
(2)पुस्तक केवल सरकी नियमों विनियमों या कार्यविधियों केा संकलन मात्र है।
6 तो लेखक सरकारी कर्मचारी से जब तक कि राज्यपाल विशेष आदेश द्वारा अन्यथा निदेश न दें इस बात की अपेक्षा की जायेगी कि वह आय का एक तिहाई सामान्य राजस्व के खाते में उस दशा में जमा करें जब कि आय 250 रू से अधिक हो या यदि वह आवर्तक रूप में होने वाली तथा 250 रू वार्षिक से अधिक हो।
7 यदि पुस्तक सरकारी कर्मचारी द्वारा अपनी नौकरी के दौरान प्राप्त ज्ञान की सहायता से लिखी गयी है किन्तु वह सरकारी नियमों विनियमों और अथवा कार्यविधियों का संग्रह मात्र नहीं है वरनसंबंधित विषय पर लेखक के विद्धतापूर्ण अध्ययन को प्रगट करती है अथवा रचना के लेखक के सरकारी पद से न तो कोई संबंध है और न होने की संभावना है। तो पुस्तक की बिक्री की आय या स्वामितव से उसक द्वारा आर्वतक रूप मे में प्राप्त आय का कोई भाग सामान्य राजस्व के खाते में जमा करने की आवश्यकता नहीं है।
8 स्रकारी कोषागार में जमा की जाने वाली धनराशि आय व्ययक बजट शीर्षक ‘‘ सपप प्रकीर्ण -ग - प्रकीर्ण- (7)अन्य मदें ’’ के अर्न्तगत जमा की जानी चाहिये।
( उक्त अनुदेश वित्त विभाग की सहमति से जारी किये गये हैं )
अगली चर्चा में शामिल होगा यह प्रश्न कि
क्या मै राजकीय कर्मचारी रहते हुये किसी पत्रिका का संपादक बन कर पत्रिका प्रकाशित करा सकता हूँ?