
1972 में मेरे भाई का पंजीकृत गोदनामा हुआ था, लेकिन वह हमेशा अपने प्राकृतिक पिता के साथ ह रहा। उस के सारे दस्तावेजों (शिक्षा, मतदाता पहचान पत्र आदि) में उस के प्राकृतिक पिता का ही नाम पिता के रूप में दर्ज है न कि दत्तक ग्रहण करने वाले पिता का। 2001 में दत्तक पिता ने मेरे चाचा के पुत्रों के नाम पंजीकृत वसीयत कर दी, जिस में दत्तक का उल्लेख नहीं है। दत्तक ग्रहण करने वाले पिता के देहान्त के उपरांत उस का दाह संस्कार भी चाचा के पुत्रों ने ही किया, दत्तक पुत्र ने नहीं। अब नामांतरण का वाद चल रहा है। दत्तक ग्रहण में माता की स्वीकृति नहीं है। यह बताने का कष्ट करें कि दत्तक पुत्र या वसीयती में किस का दावा मजबूत है?तीसरा खंबा: पंजीकृत दत्तक ग्रहण और वसीयत में से क्या मान्य होगा?
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