रविवार, 12 जनवरी 2014

प्रोन्नत पी सी एस अधिकारियों ने किया केन्द्र की नयी पहल का स्वागत

पी सी एस से आइ ए एस में प्रोन्नति के लिये भारत सरकार के द्वारा लिये गये निर्णय के अनुसार ली जाने वाली परीक्षा को लेकर उत्तर प्रदेश के पी सी एस अधिकारियो में मतभिन्नता उभर कर सामने आयी है।

सीधी भर्ती के पी सी एस अधिकारियों द्वारा जहां भारतीय सरकार के द्वारा लिये गये निर्णय का कडा विरोध किया है वही प्रोन्नति के माध्यम से पी सी एस बनने वाले अधिकारियों ने इस निर्णय का स्वागत किया है।

रायउमानाथ बाली प्रेक्षाग्रह में जुटे प्रोन्नत पी सी एस अधिकारि
                                     

उल्लेखनीय है प्रादेशिक सिविल सेवा में पचास प्रतिशत पद सीधी भर्ती से तथा पचास प्रतिशत पद प्रोन्नति के माध्यम से भरे जाते हैं ।

ऐसे समय में जब समूचे देश में केन्द्र सरकार द्वारा आइ ए एस में चयन हेतु लागू की गयी प्रतियोगी परीक्षा की आलोचना हो रही है वहां उत्तर प्रदेश के समूचे पी सी एस अफसरो की आधी संख्या द्वारा इसे औचित्यपूर्ण बताना केन्द्र सरकार के लिये राहत की सांस हो सकता है क्योंकि उत्तर प्रदेश में  पी सी एस अधिकारियों में आधी संख्या प्रोन्नत अधिकारियों की है।

प्रोन्नत अधिकारियों के द्वारा प्रतियोगी परीक्षा का समर्थन करने हेतु जो तर्क दिया जा रहा है वह भी कम रोचक नहीं है । प्रोन्नत अधिकारियों का मानना है कि वर्तमान में सामान्यतः उत्तर प्रदेश में पच्चीस वर्ष की सेवा करने के उपरांत ही एक पी सी एस अधिकारी आइ ए एस में प्रोन्नति पाता है जबकि वह सेवा के आठ वर्ष बाद ही आइ ए एस में प्रोन्नति की अर्हता पा लेता है। अब जबकि प्रोन्नति के लिये अर्हता परीक्षा ही जायेगी तो आठ वर्ष की सेवा पूरी कर चुके सभी अधिकारी इसमें प्रतिभाग कर सकेंगें ।

इस प्रकार प्रतिभाशाली पी सी एस अधिकारियों को आइ ए एस में प्रोन्नति पाने के लिये पच्चीस से तीस साल की प्रतीक्षा नहीं करनी होगी। इस प्रकार केन्द्र सरकार के द्वारा प्रारंभ की गयी इस नयी पहल से उन अधिकारियों में भी एक नयी उम्मीद जगा दी है जो आइ ए एस होने की उम्मीद छोड चुके थे। 

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