ग्रामीण जीवन में सबसे निचले स्तर के इस राजस्व कर्मी लेखपाल की महत्ता का अंदाजा आप उपर लिखी कहावत से आसानी से लगा सकते है। अपने प्रदेश में राजस्व विभाग में कार्यरत सबसे निचले स्तर के राजस्व कर्मी लेखपाल के संबंध में उपर लिखी कहावत सामान्य रूप से कही और सुनी जाती रही है। सन् 1973 से पूर्व उत्तर प्रदेश में इस राजस्व कर्मी का नाम ‘पटवारी’ हुआ करता था। इस पदनाम की छबि आम जनता में अच्छी न होने के कारण तत्कालीन मुख्यमंत्री चौधरी चरण सिंह जी के द्वारा ऐतिहासिक निर्णय लेते हुये इस पदनाम के स्थान पर इसे ‘लेखपाल’ का पदनाम दिया गया था। देश के अनेक राज्यों में आज भी राजस्व विभाग की सबसे निचली पायदान पर विराजमान इस महत्वपूर्ण कर्मी को पटवारी ही कहा जाता है। राजस्थान राज्य में ऐसे राज्यों की श्रेणी में है जिसमें आज भी सबसे निचले स्तर के राजस्व कर्मी को इसी नाम ‘पटवारी’ से संबोधित किया जाता है। पटवारी पदनाम के संबंध में एक रोचक चर्चा तीसरा खंभा में की गयी है जिसे जानने के लिये आगामी लिंक को क्लिक करें।
तीसरा खंबा: राजस्थान में कृषिभूमि का नामान्तरण
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