
समूचे देश में इस लोकतांत्रिक कुंभ का संचालन करने वाले शीर्ष शंकराचार्य ने राज्यों में स्थापित अपने मठों (कार्यालयों ) में भी मुख्य निर्वाचन अधिकारी के रूप में अपने अपने प्रतिनिधि शंकराचार्य को नियुक्त कर रखा है जो इस महाकुंभ के निष्पक्ष और पवित्रता के लिये सभी जरूरी उपायों को बेरोकटोक अमल में लाते हैं।
इन्हीं उपायों में से प्राथमिक उपाय होता है कि पूरे प्रदेश में अधिकारियों को बदल दिया जाय ताकि निकट भविष्य में प्रतीक्षित लोकतांत्रिक कुंभ के संचालन हेतु निष्पक्ष भूमि तैयार की जा सके। निर्वाचन आयोग ने अनेक अवसरों पर यह घोषित भी किया है कि आई0 ए0 एस0 सहित अन्य सिविल और राजस्व सेवा के अधिकारी ही उसकी आंखें और कान होते हैं। इन निर्देशों ने मुझे भी आनन फानन में कलक्ट्रªट लखनऊ में दाखिल होने के अवसर को उपलब्ध करा दिया है।
आने वाले वर्ष 2012 में उत्तर प्रदेश में इस लोकतांत्रिक कुंभ की पवित्रता बनाये रखने के लिये प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने इस कुंभ की तैयारी का विगुल विगत 29 सितम्बर को फूंक दिया है। इस दिन से लगातार पूरे माह तक लोकतांत्रिक कुंभ में डुबकी लगाकर पुण्य के भागी बनने वाले प्रत्येक भक्त के लिये अनिवार्य पंजीकरण के द्वार खोले गये थे।
दिनांक 1 जनवरी 2012 को अट्ठारह वर्ष की उम्र प्राप्त करने वाले प्रदेश के प्रत्येक नागरिक को इस कुंभ में डुबकी लगवाने के लिये सुनिश्चित पंजीकरण करने की व्यवथा इस महाकुंभ के शंकराचार्य अर्थात मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने की है।
आज इस विषेश पुनरीक्षण अभियान में अपने दावे प्रस्तुत कर विधान सभा चुनाव से पहले मतदाता सूचि में नाम जुडवाने का अंतिम अवसर हे